ख्वाबों में
रात भर
वह ख्वाब में आये
फिर अगली रात
ख्वाब में आने का
वायदा करके
यह सिलसिला
यूं ही बदस्तूर चलता रहे
तो कितना अच्छा हो
हकीकत में नहीं तो
ख्वाबों में भी कोई
मिलता रहे
यह क्या कम है
वैसे भी
हकीकत में
जिंदगी में तो कोई
मिलता है
बिछड़ता है
जीता है
मरता है पर
ख्वाबों पर तो
हमारा जोर चलता है
जब तक हम नहीं मरते
ख्वाबों में मिलने वाला भी नहीं
मरता है
जिन्दगी मरती है पर
ख्वाबों को कभी मौत नहीं आती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001