ख्वाईश
आखिर ख्वाइशों के पीछे कितना दौड़ा जाए ,
अब तो थक भी चुके हैं और उम्र बीती जाए ।
ख्वाइशों की तो कोई हद होती नहीं ,
कही ऐसा ना हो मेरी रूह परेशान हो जाए ।
आखिर ख्वाइशों के पीछे कितना दौड़ा जाए ,
अब तो थक भी चुके हैं और उम्र बीती जाए ।
ख्वाइशों की तो कोई हद होती नहीं ,
कही ऐसा ना हो मेरी रूह परेशान हो जाए ।