खौफ खाती है प्यास पानी से
तीर तरकश कमान बाकी है
हौसलों में उड़ान बाकी है
जिस्म में थोड़ी जान बाकी है
आखिरी इम्तहान बाकी है
इश्क़ की हार कोई हार नहीं
जीतने को जहान बाकी है
खौफ खाती है प्यास पानी से
बाढ़ का इक निशान बाकी है
छोड़कर गांव बच सकी है जान
उस नदी का कटान बाकी है
फेल दुनिया में हम कभी न हुए
घर में इक इम्तिहान बाकी है
खेत सारे वफ़ा के सूख चुके
आशिक़ी का लगान बाकी है
दिल मिले तो ज़माना बीत चुका
कुंडली का मिलान बाकी है