खो दोगे
खुद को खो दोगे जब ख्वाबों की गलियों में भी असर खो दोगे,
ज़िंदगी की राहों में चलो तो सही, थम कर तो सफ़र खो दोगे,
हर कदम पर मिलेगा नया सवेरा, तम के आतंक से सुख पहर खो दोगे,
घोर बाधाओं से जिस पल सहम गए , दवा दरअसल है जो जहर खो दोगे ,
सपनों को पंख करो मुहैया ,किसी न किसी दिन तो ये दहर खो दोगे,
खुद को भी अपना लो बिन शर्त ,वर्ना हर पुरज़ोर मंजर खो दोगे,
कितनी दफा समझाया भी है-धरती छोड़ के भागे तो अम्बर खो दोगे !
शैतानों की जाल में उलझ ,अपने पवित्र पीर पैगम्बर खो दोगे,
गाँव से भागे तो कहाँ बसोगे ?ढल न पाए तो शहर खो दोगे I
खुद को खो दोगे जब ख्वाबों की गलियों में भी असर खो दोगे II