खो गए वोट और नोट
लागी कालजे चोट,
लेवां क्यूकर ओट,
एक झटके म्ह खुगे,
म्हारै वोट अर नोट,
इब काम ना दूजा बचा,
चक्रव्यूह उसनै यू रचा,
भतेरे दोष सर धर लिए,
पर किसै कै एक ना जचा,
म्हारी किसै नै ना मानी,
जनता बी हुई र दीवानी,
रद्दी म्ह बदल गयी गड्डी,
किसी करी या मेहरबानी,
उल्टा सीधा प्रचार करा,
धमकी तै बी वो ना डरा,
या सारी दुनिया मानै स,
खोटा नहीं मोदी स खरा,
कष्ट सह कै साथ खड़ी,
जनता दूर ना एक घड़ी,
गुरु रणबीर सिंह देख ले,
सुलक्षणा चरणां म्ह पड़ी,
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत