!! खोटे सिक्के चल जाते हैं !!
!! खोटे सिक्के चल जाते हैं !!
जब अपने ही छल जाते हैं,
मन के भाव मचल जाते हैं।
खतरे का अंदेशा पाकर,
अक्सर लोग संभल जाते हैं।
बिन मेहनत जो सब पा जाएं,
ऐसे शख्स उछल जाते हैं।
बदले में गर जफ़ा मिले तो,
अरमां दिल के जल जाते हैं।
वक्त बुरा गर आ जाये तो,
अच्छे-भले निकल जाते हैं।
खुद को जो सूरज कहते हैं,
उनके भी दिन ढल जाते हैं।
दुनिया के बाज़ार में “दीपक”,
खोटे सिक्के चल जाते हैं।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव