Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2020 · 1 min read

खोज

अंबर के तारों से पूछा
पता तुम्हारा
अपलक अपलक

लंबी प्यासी राह से पूछा
कहां छिपा?
निर्झर निर्झर

सूखी नदिया की धार से पूछा
क्या बरसेगा?
जलधर जलधर

और यूं ही जब खो गई थी
खोज भी
मिल गए तुम
अचानक अचानक

Language: Hindi
1 Comment · 219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भारत माता की संतान
भारत माता की संतान
Ravi Yadav
*यह  ज़िंदगी  नही सरल है*
*यह ज़िंदगी नही सरल है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ये जो लोग दावे करते हैं न
ये जो लोग दावे करते हैं न
ruby kumari
2870.*पूर्णिका*
2870.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपार ज्ञान का समंदर है
अपार ज्ञान का समंदर है "शंकर"
Praveen Sain
*
*"मां चंद्रघंटा"*
Shashi kala vyas
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
" ब्रह्माण्ड की चेतना "
Dr Meenu Poonia
निदा फाज़ली का एक शेर है
निदा फाज़ली का एक शेर है
Sonu sugandh
मुर्दा समाज
मुर्दा समाज
Rekha Drolia
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
कृष्णकांत गुर्जर
दिल का रोग
दिल का रोग
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मां गोदी का आसन स्वर्ग सिंहासन💺
मां गोदी का आसन स्वर्ग सिंहासन💺
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
धोखा देना या मिलना एक कर्ज है
शेखर सिंह
■ प्रसंगवश....
■ प्रसंगवश....
*Author प्रणय प्रभात*
बेटी
बेटी
Sushil chauhan
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
थूंक पॉलिस
थूंक पॉलिस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वक्त कब लगता है
वक्त कब लगता है
Surinder blackpen
#Om
#Om
Ankita Patel
रेणुका और जमदग्नि घर,
रेणुका और जमदग्नि घर,
Satish Srijan
घनाक्षरी छंद
घनाक्षरी छंद
Rajesh vyas
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
जगदीश शर्मा सहज
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
मेरी हस्ती का अभी तुम्हे अंदाज़ा नही है
'अशांत' शेखर
*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*
*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
The_dk_poetry
पिता
पिता
sushil sarna
Loading...