खैरात बांटने वाला भी ख़ुद भिखारी बन जाता है,
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/3cc180bf57aa63c3d04ab8fbdb34faed_864709775ca80491d1f669c9f42d1209_600.jpg)
खैरात बांटने वाला भी ख़ुद भिखारी बन जाता है,
मीसाक़-ए-मोहब्बत में वजूद भी लुटाता जाता है,
अब न आना न जाना होता है कूच-ए-इश्क़ में तो,
यूं प्यार में मुसाफ़िर बस सरेराह चलता जाता है,
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”