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29 Apr 2023 · 1 min read

खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।

खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
रही न अब वो भावना, रहा न अब वो मेल।।

धन-दौलत-बल जोड़कर, खूब जमा लो धाक।
पल भर के सुखसाज ये, पल में होंगे खाक।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

Language: Hindi
3 Likes · 574 Views
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