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17 Jun 2020 · 1 min read

खेती किसानी के बेरा

खेती किसानी के बेरा
★★★★★★★★★★★★
बंद होगे किन्दरना,अउ बुलना हमर।
छेना लखरी धरागे, जतनावत हे घर।
अब तो नइये संगी दिन मनमानी के जी,
आगे बेरा हर खेती किसानी के जी।
//1//
बनगे झिपारी जम्मो राहेर काडी म,
खातू पलागे हमर बइला गाड़ी म।
पछिने निमारे बीजहा सकलागे,
अउ ढेलवानी के ढेला ढकलागे।
अब अगोरा हावय हमला पानी के जी,
आगे बेरा हर खेती किसानी के जी।
//2//
काँटा खूँटी बिना के लेसागे।
बारी बखरी के खूँटा ठेंसागे।
पैरा भूँसा अउ कोंडहा धरागे।
नार बिंयार म थौना भरागे।
बढ़गे बूता हमर आनी बानी के जी,
आगे बेरा हर खेती किसानी के जी।।
★★★★★★★★★★★★★
रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 434 Views
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