” खूब संभाला था ” !!
हालात जहाँ बदले , हर ओर उजाला था !
जो खूब हँसा हम पर , उस मुँह पर ताला था !!
मेरे खेत पड़े सूने , टपरी खाली खाली !
उस द्वार पे लाला ने , फिर ताला डाला था !!
माँ के गहने जेवर , तो बेच दिये हमने !
बीबी ने कँगन को , खूब संभाला था !!
रातें बड़ी गुमसुम थी , चहकी तेरे आने से !
मौसम ने भी जैसे , दिल अपना उछाला था !!
पल में दिल बदला है , पल में दल बदला है !
वे आन मिले हमसे , जिनको तो टाला था !!
है भागमभाग मची , सेहरा न बंधवाये !
दिल में है टीस उठे , वो फूटा छाला था !!
खुशबू दौड़ी फिरती , आँगन द्वारे द्वारे !
तोड़े बन्धन पल में , खुद को यों ढाला था !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )