खूब धोया सरकारों में
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बेरोजगारी में बेरोजगारों को खूब धोया सरकारों में
अच्छे -अच्छे चाय पकौड़े बेचने ला दिए बाजारों में
पढ़ाई -लिखाई में कुछ नहीं रखा मात्र ये दिखावा है
सबसे उत्तम धंधा यही दिखा यहाँ सियासतदारों में
डिग्रियां लेकर लगे खामख्वाह लंबी बनी कतारों में
चाय वाले देश चला रहे देखा सत्ता के गलियारों में
पढ़ पढ़ पोथी ढ़ेर लगाई नज़रे कमजोर कर डाली
झूठे वायदों सिवा मिला नहीं कुछ,मेले रोजगारों में
बूढ़ी आँखों के सपने टूटे,टूटी उम्मीदें जो लगाई थी
खून पसीने की कमाई बह गई डूबे जैसे किनारों में
भ्रष्टाचार का बोलबाला,कुशलता को निगल है गया
योग्य फिरें धक्के खाते अयोग्य देखे बंगले कारो में
जिसकी लाठी उसकी भैंस कथनी सच्ची कर डाली
नाच नहीं जाने आंगन टेढ़ा नचा दिए खुली बहारों में
सुखविंद्र सुनके हारा राजनेताओं के झूठे वचनों को
राजनीतिक रोटियाँ सेक रहें हैं जो फ़रेबी से नारो में
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)