खून के आंसू रोये
दर्द ए दिल इतना बढ़ा,हम खून के आंसू रोये।
जाग जाग कर रातों को,दाग जिगर के धोये।
कितना आसां है ये कहना, इश्क़ हो गया तुमसे
पूछ के देखो दीवानों से ,जो दिन रैन न सोये।
कुछ भी अपने पास रहा न,दिल भी हुआ है ग़ैर
क्या बताएं कितने रिश्ते , इश्क़ कारण है खोये
रुह है प्यासी प्यार तेरे की,किसे बताएं तुमबिन
कौन देखेगा आकर ये,हम बैठें हैं नैन भिगोये।
तुम बिन मुश्किल हुआ जीना,याद तेरी में रोऊं
सांसों की माला में हमने ,तेरे नाम के अश्क पिरोये ।
सुरिंदर कौर