खुशी
बहुत दिनों के बाद
आज खालिस खुशी ने
डाला फेरा
जैसे उषा का आंचल
हो गया सुनेहरा
पर्वत से छलकती आती
जैसे नदिया की धार
तपते मौसम के बाद
जैसे सावन की फुहार
अमावस के बाद हो
जैसे शुभ्र चांदनी रात
कई बेटों के बाद
जैसे जन्मी हो बेटी
या वर्षों सूखे के बाद
जैसे भरपूर हुई हो खेती
थिरक उठा मन का हर अंग
सुर ताल लय का हुआ संगम
जैसे बच्चों ने गली में
खेल के लिया बनाया धेरा
बहुत दिनों के बाद
आज खालिस खुशी ने
डाला फेरा।