खुशी के गीत
क्यूँ ना गीत खुशी के गायें
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जब स्वच्छंद अम्बर तले,
लहर रही हो हरियाली,
जब उपवन के पुष्प देख,
हर्षित हो रहा हो वन माली,
तब क्यूँ न गीत खुशी के गायें!
जब जग में जगी हो मानवता ,
मानव में ना हो विषमता,
सेवा में समर्पण हो तन मन,
पूजा जाए जब अपना वतन,
तब क्यूँ ना गीत खुशी के गायें!
जहाँ महिला जग में न्यारी हो,
महके भाईचारा की क्यारी हो,
जब राग द्वेष आडम्बर परे,
दिखते नारी नर खरे खरे,
तब क्यूँ ना गीत खुशी के गायें !
जहाँ शिक्षा की ही पूजा हो,
सब हो अपना ना दूजा हो,
भूखे को भोजन देने पानी,
बड़ी लंबी पंक्ति में हो दानी।
तब क्यूँ ना गीत खुशी के गायें!
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-अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.