खुशी की तलाश
आज मैं कुछ ज्यादा ही परेशान थी। वजह कुछ खास नहीं बस ऐसे ही।
आईने के सामने खड़े होकर खुद को निहारने लगी तो खुद को पहचान नहीं पाई। मैंने खुद से एक सवाल पूछा कि क्या यह वही लड़की है जिसके चेहरे पर हमेशा ही एक मुस्कुराहट की किरण जगमगाती सी उसका चेहरा रोशन करती फैली रहती थी। उसने आज ठान लिया था कि वह अपने होठों पर सिकुड़ गई, कहीं छिप गई मुस्कुराहट को दोबारा फैलायेगी, कहीं से ढूंढकर वापिस लायेगी। आज उसे खुशी की तलाश थी। बनावटी नहीं बल्कि सौ फीसदी सच्ची और असली।
उसने अपने एक अजीज दोस्त को फोन मिलाया और अपने साथ कहीं बाहर चलने का आग्रह किया। जल्दी से तैयार होकर दोनों घर से निकल पड़े।
‘खुशी’ की तलाश जारी थी। यह तलाश पूरी हुई जब एकाएक किसी समारोह में दो बच्चे फूल से खिलखिलाते, दुनिया से अंजान, बिल्कुल मासूम, भगवान का ही जैसे हों प्रतिरूप उन्हें मिले।
उसने उन्हें अपने पास बुलाया, वह आ गये। जो खाने को दिया, वह बहुत ही प्यार, आदर और सहजता से लेकर खा लिया।
उन बच्चों को देख उसका बचपन और होठों पर न जाने कब से खो गई मुस्कान एक बार फिर से वापिस लौट आई और एक फूल की तरह ही यह खुशी उसके हृदय से लिपट गई और मुस्कुराहट की तितली उसके लबों पर लग रहा था जैसे सदा के लिए हो बैठ गई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001