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27 Apr 2022 · 1 min read

खुशियों के गंधर्व

खुशियों के गन्धर्व
द्वार द्वार नाचे ।

प्राची से
झाँक उठे
किरणों के दल,
नीड़ों में
चहक उठे
आशा के पल,

मन ने उड़ान भरी
स्वप्न हुए साँचे ।

फूल
और कलियों से
करके अनुबंध,
शीतल बयार
झूम
बाँट रही गंध,

पगलाये भ्रमरों ने
प्रेम-ग्रंथ बाँचे ।

– त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Language: Hindi
Tag: गीत
143 Views
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