खुशियों की सौगात मिली
खुशियों की सौगात मिली
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तुमसे मिलकर खुशियों की सौगात हुई,
अब के वर्ष साजन तुमसे मुलाकात हुई
ये!मत पूछो क्या मुझ पर जीवन में गुजरी ,
ज़ख्मों से भरा हृदय दुखों की रात हुई।
जीवन के पथ में कांटे ही सहे हमने,
तुमसे मिलकर फूलों की बरसात हुई।
पथ है पथरीला फिर भी चलते रहे हम,
छाले पड़े पैरों में जब कालीन बिछी हुई।
तेरे आने की आहट से मुड़के देखते हम
तेरी परछाई में ही तुमसे मुलाकात हुई।
चांद में तेरा ही चेहरा नजर आता है,
चांदनी रात में ही तुमसे मोहब्बत हुई।
मुझे अपने गमों का हमराज बना लो,
बांटी अपनी पीड़ा इस बात से मैं फना हुई ।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,