खुशियों की दीवाली हो
खुशियों की दीवाली हो
(दीपावली पर गीत )
दूर करो मन के अँधियारे
खुशियों की दीवाली हो।
मंगल कलश सजे हर द्वारे
घर-घर में उजियाला हो।
हर मुखड़ा खुशियों से दमके
जगमग जगमग आला हो।
रात अमावस की है लेकिन
पूनम सी आभासी हो।
ज्योतिर्मय जीवन हों सबके
सबकी दूर उदासी हो।
द्वेष क्लेश कलुषित सब हारें
मन कुंठा से खाली हो।
मन अंतस के अँधियारों में
संवेदन के दीप जलें।
भग्न-हृदय के दुखित घाव में
अपनेपन की दवा मलें।
तिमिरपंथ जीवन की जड़ता
मिटे हटे सब सूनापन
अमा घनी मंडित अंधियारे
हो जाएँ सब ज्योतिर्मन।
असतोमा सत हृदय गमय हों
दीप भरी हर थाली हो।
आशा का दीपक हर मन हो
सब हाथों को काम मिले।
अपनापन हो हर आँगन में
नवचिराग हर हृदय जले।
हर घर में हों हँसी ठिठोली
नई विभा सतरंगी हो।
दीवाली हो खुशियों वाली
आभा रंगबिरंगी हो।
हर घर लक्ष्मी का निवास हो
दीवाली मतवाली हो।
सुशील शर्मा