खुशियों का संसार
पूछे मुझसे अगर कोई
खुशियों का संसार कहां है
उनसे मैं बेहिचक कहूंगा
प्रेम प्रीत का बास जहां है
धन दौलत हो जहां ढेर
विन प्रेम अशांति रहती है
हो प्रेम भरा संसार जहां
बिना द्रव्य शांति रहती है
धन दौलत का नशा सिर्फ
चमक दमक दिखलाता है
प्रेम प्रीत बिन द्रव्य सदा
मन को सदा जलाता है
प्रेम प्रीत जहां सच्ची हो
वहां नहीं है कोई कमी
कष्ट चाहे कितने आ जाएं
खुशी रहेगी सदा जमीं
प्रेम नहीं बिकता है कभी
चांदी के खनकती सिक्कों में
सब कुछ ले ले चाहे कोई
पढ़कर किसी झमेले में
सुख सुविधाएं भौतिक चाहे
द्रव्य हमें दे पाता है
लेकिन प्रेम प्रीत ही सच्ची
आत्म शांति लाता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी