खुशियों का भंडार अपना परिवार
सभी खुशियों की चाबी मनुष्य का अपना परिवार है।
कोई दुःख छु भी नहीं सकता यदि आपस में प्यार है।
बताओ दूसरों में अपनों को खोजते ही क्यों हो तुम,
जब अपनों को ही तुमने स्वंय कर रखा दरकिनार है।
जिंदगी के हर एक तजुर्बे से गुजरे होते हैं हमारे पिता,
इसीलिए कहा गया पिता को सबसे बड़ा सलाहकार है।
पिता की नेक सलाह से घर संसार स्वर्ग बन जाता है,
स्वर्ग सी जिंदगी का दुनिया में रहता सबको इंतजार है।
माँ के आँचल से बढ़कर कहीं नहीं मिलता सुकून है,
गम और दुःख की थकान मिटा देता माँ का दुलार है।
भाई के बारे में कहूँ क्या, मेरे पास शब्द ही नहीं बचे हैं,
बस इतना समझ लो हर सुख दुःख का भाई भागीदार है।
दुनिया में सबसे बड़ी शुभचिंतक अपनी बहन होती है,
बहन का प्यार तो उस भगवान का अनुपम उपहार है।
पति से बड़ा कोई मित्र नहीं जो अनकही भी समझता है,
पति पत्नी के सामंजस्य से ही खुशियों की आती बहार है।
हमारे इन रिश्तों में चाहे कितनी ही कड़वाहट आ जाए,
पर दिलों में एक दूसरे के प्रति रहती हमदर्दी बरकरार है।
सुलक्षणा संभाल कर रखना तुम अपने घर परिवार को,
अपने परिवार के बिना मनुष्य हो जाता यहाँ लाचार है।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत