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22 Jul 2021 · 1 min read

खुशियां

तेरे आने की खुशी
और उसके जाने का गम
दोनों सूरते हाल में
मेरी आँखें हुई नम

आंख से बहते अश्कों को
खुशी के कहूं या गम के
जिसे जो समझना है समझे
हम तो कुछ भी ना समझे

बद से बदनाम हो गए
होशों हवास भी खो गए
चेहरा किस से छुपाए अब
नकाब भी ना मिल पाए जब

पर्दानशीं से हुस्न बेपर्दा हुआ
चांद भी शर्मा कर छुप गया
आंखों में अश्क ऐसे ठहरे
चेहरा उनका धूंधला गया

करीब आकर मेरे खड़े हो गए
कांधे को धीमे से वो दबा गए
पूंछ कर अश्को को जो पलटा
शर्मा कर वो भी चले गए

वीर कुमार जैन
22 जुलाई 2021

205 Views
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