-खुशियां
चिर निद्रा को त्याग, सुबह
भीनी मुस्कान लिए मैं उठती हूं,
कर मे थामें अपना आंचल टंगा कर,
घर के सारे काम समेट लेती हूं,
नफ़रत की दिवार नहीं किसी से,
स्नेह सेभरी रहती पोटली उर में,
उलझनों भरी जिंदगी, फिर भी
बेहतर हूं सबसे!!
जो भी हूं सामने दिखती हूं
जैसी बाहर वैसी ही अंदर हूं,
ह्रदय पटल में हमेशा
खुशियां ‘सीमा’रखती हूं।
– सीमा गुप्ता