खुशियाँ
है माँ के
चरणों में
जीवन का
सुख सागर
रहें परिवार में
सब मिलजुल कर
हो सौहार्द और
हो सब खुशहाल
है यही तो
सुख सागर
उठती लहरें
समुन्दर में
बनतीं नहीं
जब तलक वो
सुनामी
होतीं वही
शीतल लहरें
सुख सागर
हो देश में
समृद्धि विकास
और खुशियाँ
यही है
सुख सागर
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल