खुशियाँ न बिकती कहीं
खुशियाँ न बिकती कहीं, ना खरीद सकते.
एे बेजूबां दिल तू क्या समझे अपनापन?
तुझसे खुमारियत ही मुकरर,
तू ना कभी अपनेपन की महक से ज़िते?
@ किशन कारीगर
खुशियाँ न बिकती कहीं, ना खरीद सकते.
एे बेजूबां दिल तू क्या समझे अपनापन?
तुझसे खुमारियत ही मुकरर,
तू ना कभी अपनेपन की महक से ज़िते?
@ किशन कारीगर