खुल भी जाते हैं असद ज़ख़्म ए जिगर बारिश में
बारिश में…..
खुश बहुत होते हैं खुशहाल बशर बारिश में
मुफ़लिसों के लिये तालाब है घर बारिश में
फिर तो बंगाल में बरसात मुसलसल होती
यार ज़ुल्फ़ों का तआउन है अगर बारिश में
मौक़ा अच्छा था मगर हाथ लगाया भी नहीं
भीगे भीगे थे किसी तितली के पर बारिश में
ऐसा लगता है कोई रोता हुआ हंसने लगे
धूप खिल जाये किसी वक़्त अगर बारिश में
ये तो गर्मी, कभी सर्दी से भी चिढ़ जाते हैं
शिकवे करते हैं कई तंग नज़र बारिश में
कोई सावन में रहे चारागरी कि ख़ातिर
खुल भी जाते हैं असद ज़ख़्म ए जिगर बारिश में
असद निज़ामी