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23 Jul 2023 · 1 min read

खुली आंखें जब भी,

खुली आंखें जब भी,
कोई ख़्वाब देख कर,
एक शख्स खड़ा था सिरहाने,
उन्हें साकार करने को।

।।मेरे पिता।।

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