खुन लिए
जेहन में गर्म खुन लिए
पला ला-त’अय्युन लिए
क्या दशहरा दीवाली ईद
जी रहा जब तग़ाबुन लिए
खुरैच देना नफ़रत जड़ से
बैठा हूॅं कल से नाखुन लिए
तितलियाँ भी मर गई जद में आ
इसकदर हम है त’अफ़्फ़ुन लिए
आख़िर में मुझे वहशत हि बनना
पैदा हि हुआ मैं बद – शगुन लिए
वो जो फ़ंखें से लटक कर मर गया यार
उसको आना था खत ए त’अय्युन लिए
लफ्ज़ – लफ्ज़ जाया हो गए सारे कुनू
मुस्तफ़्’इलुन मुस्तफ़्’इलुन फ़’ऊलुन लिए