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18 May 2023 · 1 min read

”खुद ही खुद में तलाश कर”

कविता-04
मन शांत सा होकर भी ,
लड़ रहा हूं दिल से ।

मैं खुद से ही मिल कर,
खुद में ही अलग हो गया हूं।

कोई आकर बैठे, पास मेरे,
तो हाल-ए-दिल अपना बताऊं।

मैं चुप सा बैठा हूं यहीं पर,
खुद के इन्तजार में।

मन की दहलीज पर हैं खुशियां,
मगर दिल भटक रहा कहीं पर।

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