खुद से मुलाकात
खुद से मुलाकात..
एक दिन अजीब सी बात हो गयी,
मेरी खुद से मुलाकात हो गयी,
यकीन मानिये,
मैं खुद को पहचान ही नहीं पाया,
अंजान रहा, जान ही नहीं पाया.
जाने किस उधेड़बुन में लगे रहा,
जाने कौन सी डगर मैं चलते रहा,
एक उम्र गुजार दी खुद से बेखबर होकर,
कि, खुद से कभी मिल ही नहीं पाया.
आधुनिक युग में हम,
कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गये है,
हर चीज है हमारे पास,
बस! वक्त नही है.
मेरी मानो,
तो थोड़ा समय खुद संग, बिता लेना,
अपने लिए भी जिंदगी है,
ये एहसास कर लेना.