खुद से बिछड़ना
अभी बाकी है खुद से बिछड़ना ।
मेरा अपनी जड़ से उखड़ना।
हौंसला तिनके का देखो तो ज़रा
उसका हवाओं से लड़ना।
तेरे इक बेवफ़ा हो जाने से
नगर मेरे दिल का उजड़ना।
ख़ता उसकी कोई नहीं माना मैंने
ग़लत था राह में मोड़ का पड़ना।
राह ए मंजिल शदीद थी माना
लेकिन मेरा वो जिद पे अड़ना।
सुरिंदर कौर