खुद से खुद की जंग!
रंग में भी भंग है,
भंग में भी रंग है
जिंदगी की रेस में
खुद से खुद की जंग है।
युद्ध है छिड़ा हुआ
इंसा है घिरा हुआ
ईश के चक्रव्यूह के
हम सूक्ष्म अंग हैं।
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा
रंग में भी भंग है,
भंग में भी रंग है
जिंदगी की रेस में
खुद से खुद की जंग है।
युद्ध है छिड़ा हुआ
इंसा है घिरा हुआ
ईश के चक्रव्यूह के
हम सूक्ष्म अंग हैं।
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा