खुद में ही चाँद शरमा गया देखकर
गज़ल (करवा चौथ पर खास पेशकश)
चाँद को अर्घ देता हुआ देखकर।
खुद में ही चाँद शरमा गया देखकर।
जिसने भी उनको देखा कहा देखकर,
चाँद उनसे न बेहतर लगा देखकर।
चौथ में चाँद देखा जो महबूब ने,
चाँद पर्दे में खुद छुप गया देखकर।
चाँद भी खुश हुआ और दी ये दुआ,
रूप तुम पर सजेगा मेरा देखकर।
रस्म देखी जो सबने तो बोला यही,
देश अपना है प्यारा लगा देखकर।
चाँद या चाँदनी बन के देखो कभी,
वक्त थम सा गया वो शमाँ देखकर।
मैं हूँ प्रेमी हमेशा मैं खुश ही रहा,
चाँद सा उनको खिलता हुआ देखकर।
……✍️प्रेमी