*बोझ खुद को देह का ढोना पड़ेगा (हिंदी गजल/गीतिका)*
बोझ खुद को देह का ढोना पड़ेगा (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
जब हुए बीमार तो रोना पड़ेगा
बोझ खुद को देह का ढोना पड़ेगा
(2)
कौन किसका साथ देता है हमेशा
एक दिन हर एक को खोना पड़ेगा
(3)
पेड़ पर आ जाएँगे फल भी रसीले
किंतु पहले बीज तो बोना पड़ेगा
(4)
कुछ समय के बाद बीमारी न होगी
हाथ फिर हर बार कब धोना पड़ेगा
(5)
पुष्प की माला बनाना है सरल विधि
पुष्प को धागे में बस पोना पड़ेगा
(6)
आप के सिद्धांत समझेगा जमाना
बस उदाहरण आपको होना पड़ेगा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451