खुद खुदा मत बन
खुद खुदा मत बन
// दिनेश एल० “जैहिंद”
बोया वही काट रहा, विधना का है लेख।
कर्म-योगी काहु नहीं, काट सके जो रेख।।
स्वत: हुआ जा रहा सब चुपचाप तू
देख।
तूने कुछ किया ही नहीं पहले का था नेम।।
करके झूठे दम्भ भरता निमित मात्र है तू।
तेरे हाथों सब हुआ खुद समझे कर्ता क्यूँ?
करना तो है कुछ करते रह कर्म है
श्रेष्ठ।
नहीं करेगा तो होके क्षीण जाएगा मेट।।
ठान करने को करने से तू रार मत
कर।
हुआ तो हुआ वरना चल अन्य पथ पर।।
सुपरिणाम भी है तो दुष्परिणाम भी हठ का।
क्या हाल हुआ देख इतिहास उठाके सब का।।
खुद खुदा मत बन खुदा तो है कहीं और।
रख समर्पण मन में तो कटेगा बुरा दौर।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
04/06/2023