खुद को नहीं डरा डरा, जब राह में पहाड़ l
खुद को नहीं डरा डरा, जब राह में पहाड़ l
उसे नहीं मान अडचन, मान ले सहज आड़ ll
प्रीत ओ रति उमंग हो, मस्त प्रिय संग संग l
सुगंध सूंघ व स्वर सुन, हो हो रतिपति दंग ll
मिठी मिठी कर जिंदगी, करले करले प्यार ।
दुःख ही सहायक रहे, लगजा लगजा पार ।।
जीवन पल पल सत्य हो, महनत हो, ना जंग l
न्यारी प्यारी जिंदगी, कभी नहीं हो तंग ll
हवा दे आसमान तो, करें है परेशान ।
डगर दे कर जमीन तो, जीने की है शान ll
स्वयम को मान ले सहज, सुंदर सुंदर सीख l
जो सहज शून्य शून्य हो, न मांग कोई भीख ll
अरविन्द व्यास “प्यास”