खुदा की नियामत है
खुदा की नियामत है
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आप मेरे पास हो
खुदा की इनायत है
तुम जो मिल गए हो
गिला ना शिकायत है
तेरे बिना मैं नहीं
मेरे बिना तुम नहीं
मैं तुम हमसफर बने
कुदरत की रहमत है
हमसाया हमराज हो
जिन्दगी की लाज हो
शुक्रिया कैसे करूँ
जिन्दगी जमानत है
शिकवा रहा न कोई
शिकायत नहीं कोई
जिन्दगी रंगीन हुई
खुदा की नियामत है
प्रेम बिन सृष्टि नहीं
नजर बिन दृष्टि नहीं
खुदा का रहमोकरम
अनुराग रिवायत है
आओ साथ संग चले
बहती हवा संग चलें
जल धारा साथ बहें
सुखविन्द्र अमानत है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)