खुदा की कहानी
पहले मिट्टी का एक पूतला बनाया ;
फिर उसको जीना सीखाया ;
धीरे-धीरे ये सब कला जान गया;
थोडा वक्त क्या बदला खुद खुदा मान गया ;
बंजर थी वो मिट्टी जिससे मैं बना , उसमे डाला था तूने पानी ;
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;
अंधकार छा गया , अम्रित हो गया काला पानी
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;
न जानू उससे क्या रिश्ता नाता ;
जन्म देने वाली को माँ बुलाता ;
कुछ बनाए मैंने बहन-भाई ;
राजा बनू तो करदू सबकी सफाई ;
जरा इसे याद दिला दे तेरे घर सब नौकर है न कोई राजा रानी ;
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;
अंधकार छा गया , अम्रित हो गया काला पानी
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;
थोडा ओर मतलबी हो गया, दोष जमानें को दिया ;
मैं शिकारी बन गया , शिकार नारी का किया ;
अब मन-मानी करूँगा मेरा जीवन कम बचा ;
पहले डरता था अब तू भी देता नहीं सजा ;
फिर तुम पर भी कोई सवाल उठाएगा बनाने वाला तू तो बदल दो ना ये कहानी;
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;
अंधकार छा गया , अम्रित हो गया काला पानी
बस कर ए खुदा कब तक लिखेगा ये कहानी ;