Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 8 min read

खुदा कि दोस्ती

जब नफरत कि हद हो जाती है और उन्माद चरम पर होता है तब सारी दुनियां एव समाज उसकी तरफ मुखतिब होती है और हर आम खास कि जुबान जेहन में घट रही घटनाओं के सम्बंध में अपने अपने विचार आते है जिसे वह गाहे बगाहे अवसर मिलने पर प्रस्तुत करता रहता है ।

जबकि घट रही घटनाओं से उसका दूर दूर तक कोई संबंध नही होता है किंतु घट रही घटनाओं से जूझते समाज के मध्य पल प्रति पल नई नई संभावनाएं जन्म लेती है जो कभी कही किसी सकारत्मक आशा का संचार करती है तो भय भ्रम एव शोषण के नए आयाम को जन्म देती है ऐसी भयावह स्थिति में भी कुछ ऐसी घटनाएं ऐसे वातावरण में घट रही होती है जिस पर अमूमन समय सामाज का ध्यान नही जाता है किंतु ये घटनाएं दूरगामी सकारात्मक संदेश देती है ।

प्रस्तुत कहानी कश्मीर कि खूबसूरत वादियों से धर्मांधता उग्रता के शुभारम्भ के साथ ही शुरू हुई जिस पर तात्कालिक या वर्तमान किसी भी समाज ने कोई ध्यान नही दिया लेकिन ये घटना तब भी प्रसंगिगता कि अवनि उपज थी तो वतर्मान में भी समाज समय को शसक्त सकारात्मक संदेश देती है ।

इस कहानी कि शुरुआत कश्मीर में उग्रवाद कि प्रथम घटना के साथ ही होता है जब देश के गृह मंत्री कि पुत्री का अपहरण हुआ कश्मीर घाटी उड़ी के आस पास गांव में दो परिवार रहते थे नीलाभ गंजू एव रविन्द्र टिक्कू (काल्पनिक नाम) दोनों परिवारों में जमीन जायदाद के लिए विवाद तब से थे जब देश अंग्रेजो का गुलाम था और कश्मीर में राजशाही थी ।

कश्मीर के राजा हरि सिंह जी के पूज्य पिता के जमाने से ही नीलाभ गंजू एव रविन्द्र टिक्कू परिवार में विवाद चल रहा था जिसके कारण कभी कभी दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती रहती लेकिन कोई समाधान नही निकल पाता।

दोनों परिवार आपस मे मिल बैठ कर विवाद का हल खोजने के कितने ही असफल प्रयास कर चुके थे।

अक्सर दोनों परिवारों के विवाद गांव कि पंचायत से लेकर राजा के दरबार तक होती गनीमत यही था कि इतने पुराने विवाद में पीढ़ियों के गुजर जाने के बाद भी कोई रक्तरंजित दुश्मनी कि नजीर नही बनी आम तौर पर कश्मीरी आवाम के विषय मे कहावत मशहूर है कि यदि कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग है तो वहां के बाशिन्दे स्वर्ग के देव तुल्य इंसान जो प्राणि कि संवेदनाओ के प्रति अतिशय सहिसुष्ण एव व्यवहारिक मानवीय मूल्यों प्रहरी है।

लेकिन समय कब क्या किसी व्यक्ति समाज को बना दे कहा नही जा सकता भारत कि स्वतंत्रता के बाद कबिलियाई संघर्ष और कश्मीर का विभाजन मूल रूप से तत्कालीन राजनीतिक अदूरदर्शिता का ही वर्तमान है जिसके कारण फसाद खड़े होते रहते है खाज में कोढ़ का काम कर दिखाया बंग बन्धु शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में भाषायी आधार पर पाकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर भारत के विभाजन से जन्मे नए इस्लामिक देश पाकिस्तान का विभाजन और तीसरे देश बांग्ला देश का उदय जिसमे भारत कि तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के नेतृव में हिंदुस्तान ने मुक्तिवाहिनी सेना को सहयोग देकर पाकिस्तान कि सेना के नव्वे हज़ार सैनिकों को जनरल नियाजी के नेतृत्व में आत्म समपर्ण कराकर बांग्लादेश के अस्तिव को बल प्रदान किया यदि भारत को आजादी के बाद कश्मीर को बटवारा ऐतिहासिक चोट कि घाव है जो गाहे बगाहे कराह कि व्यथा के रूप में परिलक्षित होता है तो पाकिस्तान का भाषायी आधार पर बटवारा पाकिस्तान के लिए सदैव रिश्ता घाव है जिसके कारण पाकिस्तान के हुक्मरान यह जानते हुये कि प्रत्यक्ष युद्ध मे भारत से लड़ना लगभग ना मुमकिन है तब उन्होंने छद्म युद्ध का सहारा लिया जिसमे प्रेरणा के तूफान के रूप में धर्म का प्रयोग शुरू किया जो भूत तेज विनाशकारी साबित हुआ।

भारत अधिकृत कश्मीरी आवाम में धर्म के नाम पर उनकी संवेदाओ को जागृत करते हुए समाज कि राष्ट्रीय सोच कि धारा को ही मोड़ने का कार्य किया जिसमें कश्मीर का विशेष दर्जा धारा 370 ने अहम भूमिका का निर्वहन किया कश्मीरी सामाज को द्विराष्ट्रीय पद्धति में जीना पड़ता था भारत का संविधान उन पर लागू नही होता जिसके कारण उनमें बंगला देश कि तर्ज पर अलग राष्ट्र संकल्पना ने जन्म लेकर अलगाव वाद के लिए प्रेरित किया जिसके कारण पृथ्वी के स्वर्ग का नेक समाज दिशाहीन विकृत हो गया और विशेषकर युवा दिशा हीन दृष्टि हीन हो गया पाकिस्तान हुक्मरानों ने इसे अवसर बनाया और कश्मीर में उग्रता उग्रवाद की ज्वाला कि लपटों में जलने लगा जिसकी चिंगारी थी देश के गृह मंत्री कि पुत्री का अपहरण।

कश्मीर में घटती इन घटनाओं से बेखबर गंजू परिवार एव टिक्कू परिवार अपनी ही पुश्तैनी दुश्मनी में मशगूल था रविन्द्र टिक्कू का बेटा ता किशन टिक्कू और नीलाभ गंजू कि बेटी थी निकिता गंजू दोनों पारिवारिक पुश्तेनी दुश्मनी एव कश्मीर में आए दिन घट रही घटनाओं से वेफ़िक्र बहुत अच्छे दोस्त थे दोनों आठवी कक्षा के छात्र थे अचानक कश्मीर में उग्रता ने ऐसा घिनौना खेल खेला की कश्मीरी हिंदुओं को अपनी सारी सम्पत्ति जायदाद धन दौलत आदि छोड़कर अपने ही वतन से पलायन कर शरणार्थियों की तरह जीने को विवश होना पड़ा।

एका एक दिन घाटी में उग्रता का ऐसा कहर टूटा जिससे मानवता का इतिहास शर्मशार हो गया और तब तक के इतिहास का सबसे बड़ा पलायन अपने वतन से विस्थापन के रूप में कश्मीर हिंदुओ का हुआ अराजकता का ऐसा नंगा नाच शायद ही किसी भी मुल्क के समाज ने देखा होगा सरेआम कश्मीर हिंदुओं की सामुहिक हत्या जिसमे जाने कितने परिवार काल कलवित हो गए एव उनकी औरतो बच्चियो के साथ बालात्कार धर्म परिवर्तन आदि जाने कितने ही नृशंस तौर तरीकों का प्रयोग पशुवत आचरण के उग्रवाद ने किया ।

नीलाभ गंजू एव रविन्द्र टिक्कू का पूरा परिवार उग्रता कि भेंट चढ़ गया जिस समय दोनों परिवारों पर उग्रवादियों का कहर वरस रहा था उसके कुछ देर पूर्व ही किशन एव निकिता गांव के संभ्रांत मुश्लिम परिवार अहमद डार के घर उनके बेटे सुल्तान जो हम उम्र था के साथ मिलकर अपने स्कूली पिछड़े कार्यो को पूरा एक दूसरे के सहयोग से कर रहे थे विद्यालय कुछ दिनों के लिए प्रशासन ने बन्द कर रखा था की पठन पाठन लायक माहौल होने पर पुनः खोल दिये जायेंगे ।

जब उग्रवादिओ का कहर गंजू एव टिक्कू परिवार के साथ साथ अन्य हिन्दू परिवारों पर टूट रहा अहमद डार को मालूम हो चुका था कि नीलाभ एव निकिता का पूरा परिवार क्रूरता कि भेंट चढ़ चुका है तब उनको लगा कि यदि उग्रवादियों ने इधर रुख किया और बच्चों कि शिनाख्त हिंदु बच्चो के रूप में हो गयी तब इन्हें कैसे बचाया जाएगा उन्होंने अपनी बैगन नर्गिस को धीरे से बुलाया और सारे हालात बंया करते हुए निकिता और नीलाभ को सुरक्षित रखने के लिए जनान खाने में छुपाने के लिए कहा नर्गिस सुल्तान नीलाभ एव निकिता को लेकर जनान खाने में चली गयी अमूमन इस्लाम अनुयायी कितना भी क्रूर क्यो न हो मुस्लिम परिवार के जनान खाने में नही जाते उग्रवादियों ने पूरे दिन क्रूरता का नंगा नाच किया दिन के तीन चार बजे तक गांव में कोई हिन्दू परिवार या तो जीवित नही बचा या तो जोसे तैसे सारी जमीन जायदात छोड़ कर सिर्फ जान बचाकर भागे अब पूरे गांव में सिर्फ दो हिन्दू बच्चे बचे थे जो अहमद डार के कारण लेकिन अहमद डार को भी भय था कि उग्रवादियों को जब भी नीलाभ निकिता के उनके यहॉ होने की जानकारी मिली तो उनकी ही खैर नही वह कब तक छुपा सकते है दोनों मासूमो को ऐसे में एक सप्ताह बीत गया अहमद डार सोच ही रहे थे की क्या करे क्या न करे?

तभी उनको उग्रवादियों से सूचना धमकी निर्देश मिला कि दोनों हिन्दू बच्चों को उनके हवाले कर दे वरना अंजाम के लिए तैयार रहे अहमद डार ने बेगम नर्गिस से गुफ्तगू कि नर्गिस बहुत जहीन कट्टर मुसलमान थी उन्होंने अपने शौहर अहमद डार से कहा कि खुदा का नाम लेकर बच्चों को हमारी फूफी जो दिल्ली के चाँदनी चौक में रहती है को सौंप आये और मेरा यह खत उन्हें दे दीजियेगा ।

अहमद डार सुबह 3 बजे नीलाभ एव निकिता को समझा बुझा कर बुर्के में लेकर चले ज्यो ही किसी तरह जम्मू ट्रेन पकड़ने के लिए बस द्वारा उड़ी से निकले से पहले ही उग्रवादियों ने बस ही घेर लिया बस को अपने कब्जे में ले लिया और धार्मिक आधार पर यात्रियों को छाटने लगे जब उग्रवादियों को पूरे बस में सिर्फ निकिता और निलाभ दो हिन्दू बच्चे ही मिले क्योकि तब तक घंटी में हिन्दू जनसंख्या लगभग शून्य हो चुकी थी।

घाटी में उग्रवादियों ने निकिता और निलाभ को अपने हवाले करने को कहा जिसे इनकार करते हुए पूरे बस सवारी ने विरोध किया उग्रवादियों ने सबसे पहले बस में उनको समझा रहे फकीर राशीद कि गोली मारकर हत्या कर दी पूरे बस में अफरा तफरी मच गई इसी अफरा तफरी में अहमद डार पता नही कब बस से उठकर उग्रवादियों से आंख बचाते हुए कुछ दूरी पर सड़क के किनारे झुरमुट में सूखे तारकोल के ड्रम में छिप गए उग्रवादियों ने उतरकर अहमद निलाभ और निकिता कि खोज करने का बहुत प्रयास किया कुछ दूरी पर सूखे तारकोल का ड्रम उनको नज़र ही नही आ रहा था कहते है खुदा मेहरबान गधा भी पहलवान उग्रवादियों ने हार कर बस का अपहरण कर लिया और प्रशासन से सौदा करने लगे बस उग्रवादियों ने अपहरण कर अपने सुरक्षित आशियाने लेकर चले गए।

अहमद डार निकिता निलाभ को जम्मू पहुंचे और वहाँ से दिल्ली के लिए ट्रेन पर खुदा का नाम लेकर सवार हुए और छुपते छुपाते बचते बचाते दिल्ली बेगम कि फूफी के घर चाँदनी चौक पहुंचे फूफी सास जीनत को सारे हालात को बताया और बच्चों को खुदा की नेमत मान परवरिश करने की गुजारिश किया जिसे खुशी खुशी जीनत ने कबूल किया जीनत के पास खुदा का दिया सब कुछ था सिर्फ औलाद ही नही थी शौहर का इंतकाल हुये पूरे पांच वर्ष हो चुके थे खुद भी जीनत अकेलेपन को दूर करने के लिए प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी।

निलाभ निकिता कि परवरिश से जीनत कोई गुजेज नही था और उन्हें बच्चों के रूप में अकेले पन का सहारा मिल गया था।

अहमद डार जीनत के घर दो चार दिन के लिए रुक गए उनका मन घाटी लौटने का नही कर रहा था लेकिन कोई रास्ता भी तो नही था।

इधर जब उग्रवादियों को पता चला कि अहमद डार निकिता और निलाभ को छुपाने मुफीद जगह ले गए है तो उनकी गैर हाजिरी में उग्रवादी उनके घर आये और नर्गिस बेगम को प्रताड़ित करते रहे और इतना कहर बरसाया कि नर्गिस बेगम टूट गयी और धमकी देते हुए उनकी एकलौती औलाद सुल्तान को यह कहते हुए उठा ले गए कि इसके बाप ने दो काफ़िर बच्चों कि हिफाज़त कर आल्लाह के हुजूर में गुस्ताखी कि है जो अल्लाह के लिए नामाफी गुनाह है जिसकी भरपाई सुल्तान काफिरों के खून से धोएगा ।

सुल्तान को उग्रवादी अपने कैम्प ले गए और उसे वाकायदे इस्लामिक जेहाद के जहर का घूंट दर घूंट पिलाने लगे।

इधर अहमद डार बेगम की फूफी जीनत के घर दो चार दिन रुकने के बाद घाटी लौटने के लिए चलने लगे बच्चे उनका पैर पकड़ कर विलख विलख कर रोते कहते कौन हम लोंगो का दोस्त यहाँ होगा ?
जो आपकी तरह हम लोंगो को बचाएगा निलाभ निकिता की दशा देखकर अहमद डार का कलेजा जैसे फट गया लेकिन इससे आगे उनके सामने कोई रास्ता नही था उन्होंने बच्चों को समझाते हुए कहा खुदा सबका दोस्त है उस पर यकीन करो और उस पर यकीन करना ही होगा कोई दूसरा रास्ता नही है ख़ुदा ही सबसे बड़ा यकीन एव दोस्त है ।

कलेजे पर पत्थर रख कर अहमद डार जीनत के घर से निकले और पुरानी दिल्ली से ट्रेन पर सवार हुए लंबे सफर के बाद उड़ी पहुंचे ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

2 Likes · 1 Comment · 276 Views
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all

You may also like these posts

प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
Neeraj Pandey
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
Dr Archana Gupta
10 अस्तित्व
10 अस्तित्व
Lalni Bhardwaj
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
मै पूर्ण विवेक से कह सकता हूँ
शेखर सिंह
स्वयं पर नियंत्रण रखना
स्वयं पर नियंत्रण रखना
Sonam Puneet Dubey
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जल्दी आओ राम बाद में
जल्दी आओ राम बाद में
Baldev Chauhan
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖🌹💖
Neelofar Khan
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
सबकी सुन सुन के, अब में इतना गिर गया ।
Ashwini sharma
"आस्था सकारात्मक ऊर्जा है जो हमारे कर्म को बल प्रदान करती है
Godambari Negi
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर
gurudeenverma198
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
Kumar lalit
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
एक महिला जिससे अपनी सारी गुप्त बाते कह देती है वह उसे बेहद प
Rj Anand Prajapati
तितली-पुष्प प्रेम :
तितली-पुष्प प्रेम :
sushil sarna
विषय-घटता आँचल
विषय-घटता आँचल
Priya princess panwar
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
Ranjeet kumar patre
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
Ravi Prakash
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
बढ़ना चाहते है हम भी आगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शुक्ल पक्ष एकादशी
शुक्ल पक्ष एकादशी
RAMESH SHARMA
रूह की अभिलाषा🙏
रूह की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पहले से
पहले से
Dr fauzia Naseem shad
किसी बच्चे की हँसी देखकर
किसी बच्चे की हँसी देखकर
ruby kumari
2795. *पूर्णिका*
2795. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कथरी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुखौटा
मुखौटा
Yogmaya Sharma
నా గ్రామం
నా గ్రామం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...