खुदा का इंसाफ
जिंदगी की इस दौड़ में मै तुम्हे कुछ बताने आया हूं,
सोते हुए अपने हर बन्दे को आज मै जगाने आया हूं,
खुद चैन से सो कर नींदें चुरा ली थी तुमने जिनकी,
आज उन्हें चैन की नींद देकर मै तुम्हे जगाने आया हूं,
इंसानियत की बात करते लोगों को मर्म इसका समझने आया हूं,
गीता ज्ञान देने वालों को अर्थ सही इसका बतलाने आया हूं,
अस्तित्व पाकर मुझसे अपना मेरे ही अंश को जो तुम सताते हो,
उन बेजुबां के हर आंसू का हिसाब आज तुमसे मै लेने आया हूं,
मेरी बनाई हर चीज को तुमने जो लापारवाही से बेकार किया,
आज उसे संवार तुम्हारी लापरवाही की सजा तुम्हे ही देने आया हूं,
परीक्षा लेते मेरे अस्तित्व की जो तुम अनेकों मांग करके,
आज उसी अस्तित्व की इक झलक मै तुम्हे दिखाने आया हूं,
अपने खातिर जो छीन ली हरियाली तुमने मेरी बनाई प्रकृति से,
आज उसी हरियाली को लौटाने मै तुम्हारे किए का हिसाब करने आया हूं,
नारा देकर महफूज़ का जो आबरू लूटते हो तुम मासूमों की,
आज उस आबरू की लाज फिर कृष्ण बनकर बचाने आया हूं,
है हिम्मत अगर तुम में बहुत तो बचा लो अब खुद को मुझसे,
क्यूंकि बेगुनाह और लाचारों को बचाने में तीसरा नेत्र खोलकर तबाही मचाने आया हूं