खिलौना
बहुत मुश्किल होता है
किसी को प्यार कर पाना और
किसी का प्यार पाना
आदमी बस अपने बारे में
सोचता है और
उसे अपना ही दिल बहलाने के लिए
चाहिए होता है
कोई न कोई खिलौना
एक से खेलता है
उसका थोड़ा सा मनोरंजन
होता है
वह टूट जाता है
दूसरा खिलौना ढूंढता है
उससे दिल लगाता है
अपना समय बिताता है
वह टूट जाता है तो
तीसरा फिर
इसी क्रम में चौथा, पांचवा
और
यह सिलसिला तब तक चलता
रहता है जब तक कि
वह खिलौना एक दिन
खुद से टूट जाता है
इस तरह से बिना प्यार किए
प्यार का पर दिखावा
करते करते
किसी भी इंसान का
जीवन बीत जाता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001