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28 May 2021 · 1 min read

खास

खास

अबोध बालक सा मेरा मन
किलकारियाँ भरता हुआ
जिंदगी के सफर में
निर् उद्देश्य चला जा रहा था
ना जाने कब और कैसे
मेरे जीवन की बनकर आस
तुम मेरे दिल में आन समाए
और बन गए मेरे दिल के खास।

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
263 Views
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