खास है पास् नही
***** खास है पास नही *****
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2221 2221 12
काफिया-आस रदीफ़-नहीं
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जिस पर आस थी वो पास नही,
जिस पर आस है वो खास नहीं।
किस से क्या कहाँ उम्मीद रखे,
तम में भी दिखे प्रकाश नही।
कोशिश लाख की है बात करें,
आता है नजर प्रयास नहीं।
वश में है कहीं कोई न यहाँ,
कोई भी किसी का दास नहीं।
स्वार्थों में यहाँ है लीन बहुत,
बिन हक डालता है घास नही।
मनसीरत सहे है रोज यहाँ,
है कुछ भी कहीं आभास नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)