खास वजह नही है
*** खास वजह नहीं है ***
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कोई खास वजह नहीं है,
शायद ठीक जगह नहीं है।
होता शोर नहीं कभी घर,
अब ओर कलह नहीं है।
सीना चीर मिले व्रण हैं,
ऊपरी सख़्त सतह नहीं है।
बिछड़े आज बिना अश्क ही,
यह गमगीन विरह नहीं है।
मनसीरत न समझ सका है,
अब हर बार फ़तह नहीं है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)