खाली हाथ
आज शाम को खाली हाथ देखा मैने,
कुछ अलसायी हुई कुछ मुरझाई देखा मैने।
कुछ काली सी चादरों में लिपटी हुई जैसे
कर रही हो चाँद के आने का इंतजार
चाँद आएगा और उससे लिपट जाएगा
फिर वो उसकी चाँदनी में सिमट जाएगी।
अपने भाग्य पर इठलाएगी
हाय यह हो न सका आज
क्योंकि आज चाँद नही आएगा
आज अमावस्या की रात है ।
आज शाम खाली हाथ ही रहेगी।
मनु श्वेता,मुज़फ्फरनगर