खामोश
जीवन की राहों में
यूँ ही चलते ~ चलते
हम मिले
मैंने उसे देखा
उसने मुझे देखा
मैंने सोचा
वह कुछ कहेगा
उसने सोचा
मैं कुछ कहूँगी
दोनों अपनी-अपनी जगह
सोचते रहे
और
दोनों ही खामोश रहे।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
वर्ष :- २०१३.