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1 Oct 2020 · 1 min read

खामोश नज़रे… !!

वक़्त की खामोशियाँ भी कर रही है साजिशे,
दो दिल सनम मिलने चले है, बढ़ रही है बंदिशे !
चलते-चलते नज़रो का मिलना,
ठोकर खाके फिर संभलना,
तेरा ही चेहरा अब सनम, क्यों है मेरे रूबरू !!
वक़्त की खामोश नज़रे कर रही है आरज़ू… !!*!!

मंजिले ज़ब एक है तो, क्यों राश्ते है जुदा-जुदा,
तय है ज़ब मिलना हमारा, तो क्यों रहे हम खफा-खफा !
दिल भी तुझको चाहे सनम, रख लू बना के आबरू,
तुम ही मेरे मन की मूरत, तुम ही सनम मेरी जुस्तजू !!
वक़्त की खामोश नज़रे कर रही है आरज़ू… !!*!!

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 510 Views
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