“खामोशी”
“खामोशी”
शोर भी होता
इन खामोशियों में
इक फरियाद भी
कुछ याद भी है
कुछ बात भी
जलती चिता भी है
जलते अरमान भी
रोती है दुनिया
बचता केवल राख ही।
“खामोशी”
शोर भी होता
इन खामोशियों में
इक फरियाद भी
कुछ याद भी है
कुछ बात भी
जलती चिता भी है
जलते अरमान भी
रोती है दुनिया
बचता केवल राख ही।