खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
किसी से बात करने,का बहाना चाहता हूं
कलम को अपनी माशूक,बनाना चाहता हूं
मोहब्बत को अपनी,आजमाना चाहता हूं
है सफर मैं मेरी बहुत,सी मुश्किले मगर
मैं मंजिल को अपना,ठिकाना बनाना चाहता हूं