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17 Feb 2017 · 1 min read

खामोशी की चीख

खामोशी की चीख में,सुन्न हुआ अब शोर
लगा रहे सब आंकलन,किसका होगा जोर
किसका होगा जोर,रहे भरमायी जनता
जनसेवक जो आज,वही कुर्सी पर तनता
कुर्सी वाले देखना,देवेंगे बस भीख
शोर में दब जायेगी,खामोशी की चीख
✍हेमा तिवारी भट्ट✍

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